आज के समय में शादी सिर्फ प्यार और रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कानूनी और वित्तीय पहलू भी जुड़े होते हैं। अगर शादी के बाद किसी भी कारण से रिश्ता ठीक नहीं चलता या तलाक की नौबत आती है, तो कई बार वित्तीय और संपत्ति से जुड़े विवाद खड़े हो जाते हैं।
इसी समस्या से बचने के लिए कई देशों में प्री-नप एग्रीमेंट (Prenuptial Agreement) यानी प्री-मैरिटल कॉन्ट्रैक्ट को अपनाया जाता है। भारत में यह अभी नया कॉन्सेप्ट है, लेकिन धीरे-धीरे लोग इसे समझ रहे हैं।
इस ब्लॉग में जानिए प्री-नप एग्रीमेंट क्या होता है, इसके फायदे, और भारत में इसकी वैधता।
1. प्री-नप एग्रीमेंट क्या होता है?
प्री-नप एग्रीमेंट (Prenuptial Agreement) यानी शादी से पहले किया गया एक कानूनी समझौता है, जो पति-पत्नी के वित्तीय और संपत्ति से जुड़े अधिकारों को स्पष्ट करता है।
✔ इसमें यह तय किया जाता है कि शादी के बाद संपत्ति, आमदनी और कर्ज को कैसे मैनेज किया जाएगा।
✔ अगर भविष्य में तलाक या अलगाव होता है, तो संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा।
✔ यह दोनों पक्षों की सहमति से बनाया जाता है और इसमें वित्तीय शर्तें लिखी जाती हैं।
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2. भारत में प्री-नप एग्रीमेंट की वैधता
भारत में अभी प्री-नप एग्रीमेंट को कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं किया गया है, लेकिन इसे एक सिविल कॉन्ट्रैक्ट (Civil Contract) के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
✔ स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 – भारतीय कानून में शादी से जुड़ी कोई संपत्ति-समझौता प्रणाली नहीं है। लेकिन, अगर दोनों पक्ष सहमत हैं और इसे एक कानूनी दस्तावेज के रूप में स्टांप पेपर पर दर्ज कराते हैं, तो इसे कोर्ट में वैधता मिल सकती है।
✔ अगर शादी के बाद विवाद होता है, तो कोर्ट इस एग्रीमेंट को एक रेफरेंस डॉक्यूमेंट की तरह इस्तेमाल कर सकता है।
👉 नोट: भारत में गोवा ऐसा एकमात्र राज्य है, जहां मैरिटल प्रॉपर्टी लॉ मौजूद है और वहां प्री-नप एग्रीमेंट मान्य हो सकता है।
3. प्री-नप एग्रीमेंट के फायदे
(i) वित्तीय पारदर्शिता (Financial Transparency)
शादी से पहले ही दोनों पक्षों को एक-दूसरे की वित्तीय स्थिति का पता चल जाता है, जिससे भविष्य में किसी भी तरह के झूठ और धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।
(ii) संपत्ति और कर्ज की सुरक्षा
अगर किसी एक व्यक्ति की पहले से बहुत ज्यादा संपत्ति है या कर्ज है, तो यह तय किया जा सकता है कि शादी के बाद उस पर क्या असर पड़ेगा।
(iii) तलाक की स्थिति में विवाद से बचाव
अगर तलाक होता है, तो आमतौर पर संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद होते हैं। लेकिन अगर पहले से एग्रीमेंट बना हो, तो यह प्रक्रिया आसान हो जाती है।
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4. प्री-नप एग्रीमेंट में क्या-क्या शामिल होता है?
✔ संपत्ति और संपत्ति का बंटवारा
✔ बैंक अकाउंट्स और निवेश योजनाएं
✔ कर्ज और लोन की जिम्मेदारी
✔ शादी के बाद की वित्तीय जिम्मेदारियां
✔ अगर तलाक होता है, तो गुजारा भत्ता (Alimony) का नियम
✔ बिजनेस शेयर और प्रॉपर्टी के मालिकाना हक
✔ बच्चों की परवरिश और उनके वित्तीय अधिकार
👉 जरूरी नोट:
- इसमें कोई गैरकानूनी या एकतरफा शर्त नहीं होनी चाहिए।
- दोनों पक्षों की सहमति जरूरी होती है।
- यह किसी भी तरह के जबरदस्ती या दबाव में नहीं बनना चाहिए।
5. क्या प्री-नप एग्रीमेंट सभी के लिए जरूरी है?
हर किसी को प्री-नप एग्रीमेंट की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन, यह कुछ परिस्थितियों में बहुत फायदेमंद हो सकता है:
✔ अगर किसी की पहले से बहुत अधिक संपत्ति या बिजनेस है।
✔ अगर दोनों पार्टनर की इनकम में बहुत बड़ा अंतर है।
✔ अगर शादी के पहले से ही कोई कानूनी या वित्तीय विवाद चल रहा हो।
✔ अगर कोई पहले भी शादी कर चुका हो और अपने बच्चों की वित्तीय सुरक्षा चाहता हो।
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6. भारत में प्री-नप एग्रीमेंट को कानूनी रूप से कैसे मजबूत करें?
✔ इसे स्टांप पेपर पर नोटराइज़ कराएं।
✔ दोनों पक्षों की सहमति और हस्ताक्षर लें।
✔ दो स्वतंत्र गवाहों के हस्ताक्षर जरूरी हैं।
✔ एक अनुभवी वकील की मदद लें, ताकि कोई कानूनी गलती न हो।
✔ अगर कोर्ट में केस जाता है, तो इसे एक सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है।
👉 महत्वपूर्ण:
- भारत में इसे विवाह कानून (Hindu Marriage Act या Special Marriage Act) के तहत पूरी तरह से कानूनी दर्जा नहीं दिया गया है, लेकिन इसे एक निजी अनुबंध (Private Contract) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- गोवा राज्य में मैरिटल प्रॉपर्टी लॉ लागू होता है, इसलिए वहां यह अधिक प्रभावी हो सकता है।
निष्कर्ष
✔ प्री-नप एग्रीमेंट शादी से पहले दोनों पक्षों की वित्तीय और संपत्ति से जुड़ी शर्तों को स्पष्ट करने में मदद करता है।
✔ भारत में इसे पूरी तरह से कानूनी मान्यता नहीं मिली है, लेकिन इसे एक निजी अनुबंध के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
✔ अगर शादी के बाद संपत्ति या पैसे से जुड़े विवाद से बचना चाहते हैं, तो यह बहुत उपयोगी हो सकता है।
✔ अगर इसे कानूनी रूप से मजबूत बनाना है, तो स्टांप पेपर पर नोटराइज़ कराना और वकील से सलाह लेना जरूरी है।
👉 अगर आपकी शादी होने वाली है और आप भविष्य में किसी विवाद से बचना चाहते हैं, तो प्री-नप एग्रीमेंट पर विचार करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।
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