Futures ट्रेडिंग (फ्यूचर्स ट्रेडिंग) शेयर बाजार और कमोडिटी मार्केट में एक लोकप्रिय डेरिवेटिव ट्रेडिंग तरीका है, जहां ट्रेडर्स और निवेशक किसी एसेट (जैसे स्टॉक्स, कमोडिटी, करेंसी या इंडेक्स) को भविष्य में एक निश्चित तारीख पर पूर्व-निर्धारित कीमत पर खरीदने या बेचने का अनुबंध करते हैं।
इस लेख में हम Futures ट्रेडिंग क्या होती है, यह कैसे काम करती है, इसके फायदे-नुकसान, रणनीतियाँ और रिस्क मैनेजमेंट के बारे में विस्तार से जानेंगे।
Futures ट्रेडिंग क्या है?
Futures ट्रेडिंग एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट (Derivative Contract) है, जिसमें दो पार्टियाँ एक निश्चित कीमत और समय के लिए खरीदने (Buy) या बेचने (Sell) का सौदा करती हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
✔ यह डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट है, यानी इसका मूल्य किसी अन्य एसेट (Underlying Asset) पर आधारित होता है।
✔ इसमें एक्सपायरी डेट होती है, यानी अनुबंध एक निश्चित तारीख पर पूरा होना चाहिए।
✔ इसमें मार्जिन ट्रेडिंग होती है, जिससे कम पूंजी में भी बड़े सौदे किए जा सकते हैं।
✔ Futures ट्रेडिंग का उपयोग हेजिंग (Hedging) और स्पेकुलेशन (Speculation) के लिए किया जाता है।
Futures ट्रेडिंग कैसे काम करती है?
Futures ट्रेडिंग में खरीदार और विक्रेता एक एग्रीमेंट (Contract) करते हैं, जिसमें एसेट की कीमत और एक्सपायरी डेट तय होती है।
उदाहरण:
- मान लीजिए, TCS के शेयर की वर्तमान कीमत ₹3,500 है।
- एक निवेशक मानता है कि 1 महीने बाद इसकी कीमत ₹3,800 होगी।
- वह TCS का Futures Contract ₹3,500 पर खरीदता है।
- यदि 1 महीने बाद इसकी कीमत ₹3,800 हो जाती है, तो वह इस कॉन्ट्रैक्ट को बेचकर ₹300 प्रति शेयर का मुनाफा कमा सकता है।
Futures कॉन्ट्रैक्ट्स को स्पॉट प्राइस (Spot Price) और फ्यूचर प्राइस (Future Price) के आधार पर खरीदा और बेचा जाता है।
Futures ट्रेडिंग के प्रकार
स्टॉक फ्यूचर्स (Stock Futures)
✅ यह किसी विशेष स्टॉक (जैसे Reliance, TCS, HDFC) पर आधारित होता है।
इंडेक्स फ्यूचर्स (Index Futures)
✅ यह किसी इंडेक्स (जैसे NIFTY, SENSEX) के भविष्य के मूल्य पर आधारित होता है।
कमोडिटी फ्यूचर्स (Commodity Futures)
✅ यह सोना (Gold), चांदी (Silver), कच्चा तेल (Crude Oil) और अन्य वस्तुओं पर आधारित होता है।
करेंसी फ्यूचर्स (Currency Futures)
✅ यह विदेशी मुद्रा विनिमय (Forex) जैसे USD/INR, EUR/INR पर आधारित होता है।
Futures ट्रेडिंग के फायदे
✅ लिवरेज (Leverage): कम पूंजी में बड़े सौदे कर सकते हैं।
✅ शॉर्ट सेलिंग: बाजार गिरने पर भी मुनाफा कमा सकते हैं।
✅ हेजिंग (Hedging): पोर्टफोलियो को जोखिम से बचाने के लिए उपयोगी।
✅ लिक्विडिटी: बाजार में अधिक लिक्विडिटी होती है, जिससे ट्रेडिंग आसान होती है।
✅ स्पेकुलेशन: बाजार की दिशा का अनुमान लगाकर लाभ कमाने का अवसर।
Futures ट्रेडिंग के नुकसान और जोखिम
❌ उच्च जोखिम: बाजार विपरीत दिशा में जाने पर बड़ा नुकसान हो सकता है।
❌ मार्जिन कॉल: यदि आपका नुकसान बढ़ता है, तो अधिक मार्जिन जमा करना पड़ सकता है।
❌ समय सीमा: Futures की एक निश्चित एक्सपायरी होती है, जिससे लंबे समय तक होल्ड नहीं किया जा सकता।
❌ अत्यधिक जटिल: Futures ट्रेडिंग नए निवेशकों के लिए कठिन हो सकती है।
Futures ट्रेडिंग की महत्वपूर्ण शर्तें
कांट्रैक्ट साइज (Contract Size)
यह बताता है कि एक फ्यूचर्स अनुबंध में कितने यूनिट्स शामिल हैं।
मार्जिन (Margin)
यह ट्रेड करने के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि होती है।
ओपन इंटरेस्ट (Open Interest)
यह बताता है कि बाजार में कितने Futures कॉन्ट्रैक्ट्स ओपन हैं।
रोलओवर (Rollover)
एक्सपायरी के पहले मौजूदा Futures को नए कॉन्ट्रैक्ट में शिफ्ट करना।
Futures ट्रेडिंग की लोकप्रिय रणनीतियाँ
लॉन्ग फ्यूचर्स (Long Futures)
✅ जब आपको लगता है कि स्टॉक/कमोडिटी की कीमत बढ़ेगी, तो आप Futures खरीद सकते हैं।
शॉर्ट फ्यूचर्स (Short Futures)
✅ जब आपको लगता है कि बाजार गिरेगा, तो Futures बेचकर लाभ कमा सकते हैं।
स्प्रेड ट्रेडिंग (Spread Trading)
✅ Futures कॉन्ट्रैक्ट्स की विभिन्न एक्सपायरी का लाभ उठाना।
हेजिंग (Hedging)
✅ निवेश को जोखिम से बचाने के लिए Futures का उपयोग किया जाता है।
Futures ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?
ब्रोकर के साथ अकाउंट खोलें
✅ Zerodha, Upstox, Angel One, 5Paisa जैसे ब्रोकर चुनें।
रिसर्च करें
✅ स्टॉक्स, इंडेक्स और कमोडिटी के प्राइस ट्रेंड को समझें।
डेमो ट्रेडिंग करें
✅ लाइव मार्केट में निवेश करने से पहले प्रैक्टिस करें।
रिस्क मैनेजमेंट अपनाएं
✅ स्टॉप लॉस (Stop Loss) सेट करें और ओवरट्रेडिंग न करें।
अनुशासन बनाए रखें
✅ बिना किसी मजबूत रणनीति के Futures ट्रेडिंग न करें।
निष्कर्ष
Futures ट्रेडिंग एक एडवांस्ड ट्रेडिंग तकनीक है, जिससे निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव से लाभ कमा सकते हैं। यह हेजिंग, स्पेकुलेशन और शॉर्ट टर्म निवेश के लिए उपयोगी होती है। लेकिन इसमें उच्च जोखिम भी होता है, इसलिए अच्छी रिसर्च और सही रणनीति के साथ ही ट्रेडिंग करनी चाहिए।