कैसे डार्क वेब पर आपका डेटा बेचा जा रहा है? जानिए हकीकत

क्या आपने कभी सोचा है कि आपका निजी डेटा चोरी होकर डार्क वेब पर बेचा जा सकता है? आपका ईमेल, पासवर्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स और यहां तक कि आधार कार्ड जैसी जानकारियां हैकर्स के लिए सोने की खान बन चुकी हैं।

आज हम आपको डार्क वेब की सच्चाई बताएंगे—कैसे आपके डेटा की चोरी होती है, कैसे इसे बेचा जाता है और आप इससे कैसे बच सकते हैं।


डार्क वेब क्या है?

डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे गूगल या अन्य सर्च इंजन इंडेक्स नहीं करते। इसे एक्सेस करने के लिए स्पेशल ब्राउज़र (जैसे Tor) की जरूरत होती है।

सतह वेब (Surface Web) – सामान्य वेबसाइट्स (Google, YouTube, Facebook)
डीप वेब (Deep Web) – बैंकिंग साइट्स, प्राइवेट डेटा (जिन्हें लॉगिन करके एक्सेस किया जाता है)
डार्क वेब (Dark Web) – अवैध गतिविधियों का गढ़ (हैकिंग, डेटा बिक्री, ड्रग्स, वेपन मार्केट)


आपका डेटा डार्क वेब पर कैसे पहुंचता है?

आपको लगता होगा कि आपका डेटा पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन साइबर अपराधी आपके डेटा को कई तरीकों से चुरा सकते हैं:

डेटा ब्रीच और हैकिंग

✔ कई बार बड़ी कंपनियों के सर्वर हैक कर लिए जाते हैं और लाखों यूजर्स की जानकारी चोरी हो जाती है।
✔ उदाहरण के लिए, Facebook, LinkedIn, और Paytm जैसी कंपनियों के डेटा लीक हो चुके हैं
✔ ये डेटा डार्क वेब पर लाखों रुपये में बेचा जाता है

फिशिंग (Phishing) अटैक

✔ आपको फेक ईमेल या मैसेज भेजकर आपकी लॉगिन डिटेल्स चुराई जाती हैं।
✔ जैसे ही आप अपनी ID और पासवर्ड डालते हैं, हैकर्स इसे सेव कर लेते हैं

मालवेयर और स्पाइवेयर

✔ आपके फोन या लैपटॉप में स्पाइवेयर इंस्टॉल करके आपकी हर गतिविधि को ट्रैक किया जा सकता है
✔ इससे आपके बैंक डिटेल्स, सोशल मीडिया पासवर्ड और यहां तक कि व्हाट्सएप मैसेज तक चुराए जा सकते हैं

लीक हुए पासवर्ड और क्रेडेंशियल स्टफिंग

✔ जब आपका पासवर्ड एक वेबसाइट से लीक होता है, तो हैकर्स इसे दूसरी वेबसाइट्स पर आजमाते हैं।
✔ अगर आपने हर जगह एक ही पासवर्ड रखा है, तो आप आसानी से शिकार बन सकते हैं।

पब्लिक Wi-Fi और MITM अटैक

✔ अगर आप पब्लिक Wi-Fi (जैसे रेलवे स्टेशन, कैफे) का इस्तेमाल करते हैं, तो हैकर्स आपके डेटा को इंटरसेप्ट कर सकते हैं।
✔ इससे आपकी बैंक डिटेल्स और पर्सनल डेटा चोरी हो सकता है


डार्क वेब पर आपका डेटा कैसे बेचा जाता है?

डार्क वेब पर डेटा मार्केटप्लेस और फोरम्स होते हैं जहां हैकर्स चोरी किए गए डेटा को बेचते हैं।

क्रेडिट कार्ड और बैंक अकाउंट डेटा – ₹500 से ₹50,000 तक
ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स – ₹50 से ₹5,000 तक
पासपोर्ट, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस – ₹1,000 से ₹20,000 तक
नेटफ्लिक्स, अमेज़न, स्पॉटिफाई अकाउंट्स – ₹100 से ₹1,000 तक

हैकर्स इन डेटा को डार्क वेब फोरम्स पर बेचते हैं और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पेमेंट लेते हैं, जिससे उन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है।


कैसे चेक करें कि आपका डेटा डार्क वेब पर है या नहीं?

आप कुछ वेबसाइट्स का उपयोग करके चेक कर सकते हैं कि आपका ईमेल या पासवर्ड लीक हुआ है या नहीं:

https://haveibeenpwned.com
https://dehashed.com

अगर आपका डेटा लीक हो गया है, तो तुरंत पासवर्ड बदलें और 2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन करें


कैसे बचें डार्क वेब डेटा चोरी से?

अब सवाल है, कैसे अपने डेटा को सुरक्षित रखें ताकि यह डार्क वेब पर न पहुंचे?

मजबूत पासवर्ड और 2FA का इस्तेमाल करें

✅ हर वेबसाइट के लिए अलग और मजबूत पासवर्ड बनाएं।
पासवर्ड मैनेजर (जैसे Bitwarden, LastPass) का इस्तेमाल करें।
2-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) ऑन करें।

फिशिंग से बचें

✅ अनजान ईमेल्स या SMS में किसी भी लिंक पर क्लिक न करें
✅ कभी भी अपनी बैंक डिटेल्स या OTP शेयर न करें

सिक्योर नेटवर्क और VPN का इस्तेमाल करें

पब्लिक Wi-Fi से बचें या VPN का इस्तेमाल करें।
NordVPN, ExpressVPN या ProtonVPN का उपयोग करें।

अपने डिवाइसेस को अपडेट रखें

स्मार्टफोन और लैपटॉप का ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट रखें
✅ एक अच्छा एंटीवायरस इंस्टॉल करें (जैसे Kaspersky, Norton, या Bitdefender)।

सोशल मीडिया पर सावधानी बरतें

✅ अपने फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर की प्राइवेसी सेटिंग्स चेक करें
अनजान लोगों से फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट न करें


निष्कर्ष

डार्क वेब पर आपका डेटा बेचा जा रहा है, यह कोई मिथक नहीं बल्कि सच्चाई है। लेकिन सावधानी और सही सुरक्षा उपायों से आप अपने डेटा को सुरक्षित रख सकते हैं।

अगर आपको लगता है कि आपका डेटा लीक हो चुका है, तो तुरंत पासवर्ड बदलें, 2FA ऑन करें और सिक्योरिटी सेटिंग्स अपडेट करें

📢 यह जानकारी जरूरी है! इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि वे भी साइबर क्राइम से सुरक्षित रह सकें।

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