Course Content
Indian Income Tax System

आयकर अधिनियम, 1961 की भूमिका (Role of Income Tax Act, 1961)

भारत में आयकर अधिनियम, 1961 एक ऐसा कानूनी ढाँचा है जो आयकर प्रणाली को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम आयकर की गणना, संग्रहण और प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है। इसकी भूमिका न केवल करदाताओं को जवाबदेह बनाना है, बल्कि सरकार को राजस्व प्राप्ति के माध्यम से देश के विकास में सहायता करना भी है।


आयकर अधिनियम, 1961: एक परिचय

  • प्रभावी तिथि: यह अधिनियम 1 अप्रैल 1962 से लागू हुआ।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • आयकर प्रणाली को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाना।
    • करदाताओं को उनकी जिम्मेदारियों और अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
  • अधिनियम में 298 सेक्शन (अनुभाग) और 14 शेड्यूल (अनुसूचियाँ) शामिल हैं, जो कराधान के हर पहलू को कवर करते हैं।

प्रमुख विशेषताएँ:

  1. आय की गणना के लिए स्पष्ट नियम।
  2. कर छूट और कटौती की परिभाषा।
  3. कर की दरें और श्रेणियों का निर्धारण।
  4. करदाताओं के अधिकार और दायित्व।
  5. कर विवाद समाधान प्रक्रिया।

आयकर अधिनियम, 1961 की भूमिका

आयकर के प्रबंधन में सहायता:

यह अधिनियम आय के विभिन्न स्रोतों से कर की गणना और संग्रह के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश प्रदान करता है।

  • आय के 5 प्रमुख स्रोत:

    1. वेतन (Salary)
    2. गृह संपत्ति (House Property)
    3. व्यवसाय या पेशा (Business or Profession)
    4. पूंजीगत लाभ (Capital Gains)
    5. अन्य स्रोत (Other Sources)

करदाताओं के लिए पारदर्शिता:

  • यह अधिनियम करदाताओं को यह स्पष्ट करता है कि उन्हें कितना कर देना है और किस प्रकार देना है।
  • ई-फाइलिंग जैसी सुविधाओं ने इसे सरल और सुलभ बना दिया है।

कर छूट और कटौती:

  • आयकर अधिनियम में विभिन्न धारा (Sections) के माध्यम से कर छूट और कटौती प्रदान की जाती है।
  • उदाहरण:
    • धारा 80C: बचत और निवेश पर कर कटौती।
    • धारा 80D: स्वास्थ्य बीमा पर छूट।

राजस्व संग्रहण:

  • सरकार का राजस्व जुटाने का यह मुख्य साधन है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में निवेश किया जाता है।

कर चोरी पर नियंत्रण:

  • आयकर अधिनियम टैक्स चोरी रोकने के लिए सख्त प्रावधान रखता है।
  • धारा 271: कर चोरों के लिए दंड का प्रावधान।
  • जांच और ऑडिट: संदिग्ध मामलों की जाँच।

विवाद समाधान:

  • आयकर अधिनियम कर विवादों को सुलझाने के लिए अपील और ट्रिब्यूनल प्रक्रिया का प्रावधान करता है।
  • यह करदाताओं और विभाग के बीच न्याय सुनिश्चित करता है।

अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करना:

  • यह अधिनियम देश की आर्थिक नीतियों का एक प्रमुख हिस्सा है।
  • कर प्रणाली के माध्यम से धन के समान वितरण को प्रोत्साहित करता है।

डिजिटल भारत में योगदान:

  • अधिनियम के तहत ई-फाइलिंग, TDS (Tax Deducted at Source), और GST समेकन जैसे डिजिटल सुधार किए गए हैं।
  • यह प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाता है।

आयकर अधिनियम, 1961 की चुनौतियाँ

जटिलता:

  • अधिनियम के प्रावधान जटिल हैं, जो करदाताओं को भ्रमित कर सकते हैं।

अनुपालन की कमी:

  • अभी भी कई करदाता कर भरने में असफल रहते हैं।

कर विवाद:

  • विभाग और करदाताओं के बीच विवाद अक्सर समय लेने वाले और महंगे होते हैं।

कर चोरी और काला धन:

  • टैक्स चोरी और काले धन का संचालन बड़ी चुनौतियाँ हैं।

सारांश

  • आयकर अधिनियम, 1961 भारतीय कराधान प्रणाली का आधार है।
  • यह कर संग्रह, कर छूट, और विवाद समाधान का नियमन करता है।
  • सरकार और करदाताओं के बीच संतुलन बनाए रखने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • डिजिटल सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के साथ, यह अधिनियम भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद करता है।
0% Complete